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‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’

  दान ( ? )

                                                                 “ कृपया अपने जीवन मे सही मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु हस्तलिखित सम्पूर्ण जन्म कुंडली का निर्माण अवश्य करायेँ “

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: भविष्यवाणी :

.....आपका विश्वास ही हमारा विश्वास है.....

 उपचार  

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उपचार से पहले जाने ग्रह बाधा के होने वाले संकेत .....तत्पश्चात उपचार प्रक्रिया अपनायें - यदि व्यक्ति को कोई ग्रह बाधा है या ग्रह बाधा होने वाली हो तो ग्रह व्यक्ति के मन मष्तिष्क पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं और जातक का आचार, व्यवहार, क्रिया कलाप उसी अनुरूप हो जाता है अतः उन ग्रहों का उपाय करके उनसे होने वाली समस्याओं से निजात पाया जा सकता है | उस ग्रह का शुभ अशुभ प्रभाव का हमारे जीवन में मिलते हैं परस्पर ये संकेत :

यदि सूर्य अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

सूर्य अशुभ फल देने वाला हो, तो घर में रोशनी देने वाली वस्तुएँ नष्ट होंगी या प्रकाश का स्रोत बंद होगा । किसी धातु की वस्तु खोना । किसी ऐसे स्थान पर स्थित रोशनदान का बन्द होना, जिससे सूर्योदय से सूर्य का प्रकाश प्रवेश करता हो । सूर्य के कारकत्व से जुड़े विषयों के बारे में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है । सूर्य जन्म-कुण्डली में जिस भाव में होता है, उस भाव से जुड़े फलों की हानि करने लगता है । यदि सूर्य पंचमेश, नवमेश हो तो पुत्र एवं पिता को कष्ट देता है । सूर्य लग्नेश हो, तो जातक को सिरदर्द, ज्वर एवं पित्त रोगों से पीड़ा मिलती है । मान-प्रतिष्ठा की हानि का सामना करना पड़ता है । किसी अधिकारी वर्ग से तनाव, राज्य-पक्ष से परेशानी होने लगती है । यदि न्यायालय में विवाद चल रहा हो, तो प्रतिकूल परिणाम मिलने लगते हैं । शरीर के जोड़ों में अकड़न तथा दर्द होने लगता है । किसी कारण से फसल का सूख जाना । व्यक्ति के मुँह में अक्सर थूक आने लगता है तथा उसे बार-बार थूकना पड़ता है । सिर किसी वस्तु से टकरा जाना । तेज धूप में चलना या खड़े रहना पड़ता है ।

यदि चन्द्र अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

जातक की कोई चाँदी के आभूषण खो जाना या जातक मोती पहने हो तो खो जाना । जातक के पास एकदम सफेद तथा सुन्दर वस्त्र हो वह अचानक फट जाये या ख़राब हो जाये या खो जाये । व्यक्ति के घर में पानी की टंकी लीक होना या नल आदि जल स्रोत के खराब होने पर वहाँ से पानी व्यर्थ बहने लगना । पानी का घड़ा अचानक टूट जाना । घर में कहीं न कहीं व्यर्थ जल एकत्रित हो जाता है तथा दुर्गन्ध देने लगता है । माता को शारीरिक कष्ट हो सकता है या अन्य किसी प्रकार से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है । नवजात कन्या संतान को किसी प्रकार से पीड़ा हो सकती है । मानसिक रुप से जातक बहुत परेशानी का अनुभव करता है । किसी महिला से वाद-विवाद हो सकता है । जल से जुड़े रोग एवं कफ रोगों से पीड़ा का लगातार रहना हो । प्रेम-प्रसंग में भावनात्मक चोट का लगना । समाज में अपयश का सामना करना पड़ना । मन का बेवजह लगातार अशान्त रहना । घर का पालतु पशु का अनायास मरना । घर में सफेद रंग वाली खाने-पीने की वस्तुओं की कमी हो जाना या उनका नुकसान का हो जाना । मानसिक रुप से असामान्य स्थिति का हो जाना इत्यादि ।

यदि मंगल अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

भूमि का कोई भाग या सम्पत्ति का नुकसान होना । घर के किसी कोने में या स्थान में आग का लग जाना । किसी प्रकार से मंगल के कारकत्त्व वाली वस्तु का खो जाना या नष्ट हो जाना । हवन की अग्नि का अचानक बन्द हो जाना । अग्नि जलाने के अनेक प्रयास करने पर भी अग्नि का प्रज्वलित न होना या अचानक जलती हुई अग्नि का बन्द हो जाना । वात-जन्य विकार अकारण ही शरीर में प्रकट होने लगना । अनायास छोटी-मोटी दुर्घटना का होना ।

यदि बुध अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

व्यक्ति की विवेक शक्ति नष्ट हो जाना अर्थात् वह अच्छे-बुरे का निर्णय करने में असमर्थ रहता है । सूँघने की शक्ति कम हो जाती है । काम-भावना में कमी हो जाती है । त्वचा के संक्रमण रोग उत्पन्न होते हैं । परीक्षा के कारण धन का अपव्यय होना । शिक्षा के क्षेत्र में शिथिलता का आना इत्यादि ।

यदि बृहस्पति अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

अच्छे कार्य के बाद भी अपयश मिलता है । किसी आभूषण का खो जाना । व्यक्ति के द्वारा पूज्य व्यक्ति या धार्मिक क्रियाओं का अनजाने में ही अपमान हो जाता है या कोई धर्मग्रन्थ नष्ट होता है । सिर के बाल कम होने लगते हैं अर्थात् व्यक्ति गंजा होने लगता है । दिया हुआ वचन पूरा नहीं होता है तथा असत्य वाचन करना पड़ता है इत्यादि ।

यदि शुक्र अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

किसी प्रकार के त्वचा सम्बन्धी रोग जैसे – दाद, खुजली आदि का उत्पन्न होना । स्वप्नदोष, धातुक्षीणता आदि रोग प्रकट होने लगते हैं । कामुक विचार हो जाते हैं । किसी महिला से विवाद होता है । हाथ या पैर का अंगुठा सुन्न या निष्क्रिय होने लगता है ।

यदि शनि अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

दिन में नींद सताने लगती है । अकस्मात् ही किसी अपाहिज या अत्यन्त निर्धन और गन्दे व्यक्ति से वाद-विवाद हो जाता है । मकान का कोई हिस्सा गिर जाता है । लोहे से चोट आदि का आघात लगता है । पालतू काला जानवर जैसे- काला कुत्ता, काली गाय, काली भैंस, काली बकरी या काला मुर्गा आदि मर जाता है । निम्न-स्तरीय कार्य करने वाले व्यक्ति से झगड़ा या तनाव होता है । व्यक्ति के हाथ से तेल फैल जाता है । व्यक्ति के दाढ़ी-मूँछ एवं बाल बड़े हो जाते हैं । कपड़ों पर कोई गन्दा पदार्थ गिरता है या धब्बा लगता है या साफ-सुथरे कपड़े पहनने की जगह गन्दे वस्त्र पहनने की स्थिति बनती है । अँधेरे, गन्दे एवं घुटन भरी जगह में जाने का अवसर मिलना इत्यादि ।

यदि राहू अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

मरा हुआ सर्प या छिपकली या अन्य जीव दिखाई देने लगता है । धुएँ में जाने या उससे गुजरने का अवसर मिलता है या व्यक्ति के पास ऐसे अनेक लोग एकत्रित हो जाते हैं, जो कि निरन्तर धूम्रपान करते हैं । किसी नदी या पवित्र कुण्ड के समीप जाकर भी व्यक्ति स्नान नहीं करता । पाला हुआ जानवर खो जाता है या मर जाता है । याददाश्त कमजोर होने लगती है । अकारण ही अनेक व्यक्ति आपके विरोध में खड़े होने लगते हैं । हाथ के नाखुन विकृत होने लगते हैं । मरे हुए पक्षी देखने को मिलते हैं । बँधी हुई रस्सी टूट जाती है । मार्ग भटकने की स्थिति भी सामने आती है । व्यक्ति से कई आवश्यक चीज खो जाती है ।

यदि केतु अशुभ है तो उसके अशुभ होने के पूर्व संकेत :

मुँह से अनायास ही अपशब्द निकल जाते हैं । कोई मरणासन्न या पागल कुत्ता दिखायी देता है । घर में आकर कोई पक्षी प्राण-त्याग देता है । अचानक अच्छी या बुरी खबरें सुनने को मिलती है । हड्डियों से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है । पैर का नाखून टूटता या खराब होने लगता है । किसी स्थान पर गिरने एवं फिसलने की स्थिति बनती है । भ्रम होने के कारण व्यक्ति से हास्यास्पद गलतियाँ होती है इत्यादि । औषधिउपचार मंत्रोपचार रतनोपचार ताबीज उपचार टोटके उपचार सम्पूर्ण उपचार पंचोपचार पूजन षोडशोपचार पूजन

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