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‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’                                                                                      

  दान ( ? )

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.....आपका विश्वास ही हमारा विश्वास है.....

 : पंचोपचार : 

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१. सर्वप्रथम, देवता को स्नान करायें तत्पश्चात अनामिका अंगुली से चंदन लगाएं । इसके उपरांत दाएं हाथ से चुटकीभर पहले हल्दी, फिर कुमकुम देवता के चरणों में अर्पित करें ।

२. देवता को चढाए जाने वाले पत्र-पुष्प न सूंघें । देवता को बिल्वपत्र और दूर्वा चढाएं । तत्पश्चात देवता को ताजे पुष्प चढाएं । पुष्प देवता के चरणों में अर्पित करें । पुष्प अपनी ओर कर पुष्प अर्पित करें ।

३. देवता को धूप दिखायें । धूप दिखाते समय तथा अगरबत्ती घुमाते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं ।

४. पूजा मे प्रतिदिन तेल अथवा घी के दीप की नई बाती जलाएं । दीप-आरती तीन बार धीमी गति से उतारें । दीप-आरती उतारते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं ।

५. देवता को नैवेद्य अर्पित से पहले नैवेद्य ढककर रखें । नैवेद्य समर्पण में सर्वप्रथम इष्टदेवता से प्रार्थना कर देवता के समक्ष भूमि पर जल से चौकोर मंडल बनाएं तथा उस पर नैवेद्य की थाली रखें । नैवेद्य समर्पण में थाली के चारो ओर घडी के कांटे की दिशा में एक ही बार जल का मंडल बनाएं । नैवेद्य अर्पित करते समय ऐसा भाव रखें कि हमारे द्वारा अर्पित नैवेद्य देवता तक पहुंच रहा है तथा देवता उसे ग्रहण कर रहे हैं ।

                                                  पंचोपचार पूजन में नैवेद्य दिखाने के उपरांत कर्पूर दीप जलाएं । शंखनाद कर देवता की भावपूर्वक आरती उतारें । आरती ग्रहण करने के उपरांत आज्ञाचक्र अर्थात माथे पर विभूति लगाएं और बैठ कर तीन बार प्रणाम करें । अंत में प्रसाद ग्रहण करें ।

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