‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
“ कृपया अपने जीवन मे सही मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु हस्तलिखित सम्पूर्ण जन्म कुंडली का निर्माण अवश्य करायेँ “
शिक्षा . खेल . मनोरंजन . विज्ञान . व्यापार . पर्यावरण . राजनीति . आर्थिक . शेयर मार्केट . स्वास्थ्य . सेलेब्रिटी . धर्म
१. सर्वप्रथम, देवता को स्नान करायें तत्पश्चात अनामिका अंगुली से चंदन लगाएं । इसके उपरांत दाएं हाथ से चुटकीभर पहले हल्दी, फिर कुमकुम देवता के चरणों में अर्पित करें ।
२. देवता को चढाए जाने वाले पत्र-पुष्प न सूंघें । देवता को बिल्वपत्र और दूर्वा चढाएं । तत्पश्चात देवता को ताजे पुष्प चढाएं । पुष्प देवता के चरणों में अर्पित करें । पुष्प अपनी ओर कर पुष्प अर्पित करें ।
३. देवता को धूप दिखायें । धूप दिखाते समय तथा अगरबत्ती घुमाते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं ।
४. पूजा मे प्रतिदिन तेल अथवा घी के दीप की नई बाती जलाएं । दीप-आरती तीन बार धीमी गति से उतारें । दीप-आरती उतारते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं ।
५. देवता को नैवेद्य अर्पित से पहले नैवेद्य ढककर रखें । नैवेद्य समर्पण में सर्वप्रथम इष्टदेवता से प्रार्थना कर देवता के समक्ष भूमि पर जल से चौकोर मंडल बनाएं तथा उस पर नैवेद्य की थाली रखें । नैवेद्य समर्पण में थाली के चारो ओर घडी के कांटे की दिशा में एक ही बार जल का मंडल बनाएं । नैवेद्य अर्पित करते समय ऐसा भाव रखें कि हमारे द्वारा अर्पित नैवेद्य देवता तक पहुंच रहा है तथा देवता उसे ग्रहण कर रहे हैं ।
पंचोपचार पूजन में नैवेद्य दिखाने के उपरांत कर्पूर दीप जलाएं । शंखनाद कर देवता की भावपूर्वक आरती उतारें । आरती ग्रहण करने के उपरांत आज्ञाचक्र अर्थात माथे पर विभूति लगाएं और बैठ कर तीन बार प्रणाम करें । अंत में प्रसाद ग्रहण करें ।