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‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’                                                                                      

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: भविष्यवाणी :

.....आपका विश्वास ही हमारा विश्वास है.....

 : ध्यान : 

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।। तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम ।।

धारणा का अर्थ : चित्त को एक जगह ठहराना है । ध्यान का अर्थ : जहां भी चित्त ठहरा हुआ है, उसमें जाग्रत रहना ध्यान है । अर्थात- जहां चित्त को लगाया जाए उसी में वृत्ति का जाग्रत होना ध्यान है ।

योग का आठवां अंग ध्यान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । एक मात्र ध्यान ही ऐसा तत्व है कि, उसके सधने से सभी स्वत: ही सध जाते हैं । ध्यान दो जगत के मध्य अर्थात भौतिक जगत और आध्यात्मिक जगत के मध्य निर्विचार और निर्विभाव स्वरुप में खड़े रहना ही ध्यान है ।

ध्यान कोई एकाग्रता नहीं है । क्योंकि एकाग्रता किसी एक जगह को ही फोकस करती है, लेकिन ध्यान सूरज के प्रकाश की तरह होता है जिसकी सीमाओं में ब्रह्मांड की हर चीज पकड़ में आ जाती है।

बहुत से लोग क्रियाओं को ध्यान समझने की भूल करते हैं, जैसे सुदर्शन क्रिया, भावातीत ध्यान क्रिया और सहज योग ध्यान, और विधि को भी ध्यान समझने की भूल करते है । विधि और ध्यान में फर्क है। क्रिया और ध्यान में फर्क है। क्रिया तो साधन है साध्य नहीं। क्रिया तो ओजार है । क्रिया तो चाकू की तरह है ।

आंख बंद करके सुखासन में बैठ जाना ध्यान नहीं है । किसी चित्र का स्मरण करना भी ध्यान नहीं है । माला जपना भी ध्यान नहीं है । अक्सर यह कहा जाता है कि, पांच मिनट के लिए ईश्वर का ध्यान करो यह भी ध्यान नहीं, ये तो स्मरण मात्र है । असल में ध्यान है ...कि, क्रियाओं एवं विचारों से मुक्त हो जाना । ध्यान अनावश्यक कल्पना व अनावश्यक विचारों को मन से अलग कर शुद्ध और निर्मल शांति में चले जाना है । ध्यान में इंद्रियां मन बुद्धि के साथ आत्मा में लीन हो जाती है ।

जिस तरह हम रोज़ दैनिक दिनचर्या का पालन करते है, उसी तरह ध्यान भी नियमित होना चाहिए, तभी ध्यान करने से होने वाले बदलाव को हम अनुभव कर पाते हैं । प्रतिदिन ध्यान करने से ध्यान की गहराइयों में उतरना संभव है । ध्यान से जीवन, नियम और अनुशासन का अधिष्ठाता हो जाता है । नियमित ध्यान से विचार एवं कर्म में सामान भार उत्पन्न होता है । शारीरिक श्रम और मानसिक श्रम की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होती है । मन की चंचलता एवं अस्थिरता नियंत्रित होती है । विचारों की रचनात्मकता बढती है । मानसिक शक्तियों का विकास संभव हो पाता है । कोई भी तनाव हावी नहीं हो पाता है, मानो जीवन सहज हो गया है । ऐसा प्रतीत होने लगता है

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