‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
“ कृपया अपने जीवन मे सही मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु हस्तलिखित सम्पूर्ण जन्म कुंडली का निर्माण अवश्य करायेँ “
शिक्षा . खेल . मनोरंजन . विज्ञान . व्यापार . पर्यावरण . राजनीति . आर्थिक . शेयर मार्केट . स्वास्थ्य . सेलेब्रिटी . धर्म
वास्तु : -
.वास्तु शास्त्र भारतीय ज्योतिष का एक अभिन्न अंग है । किसी भी भवन की दिशा , उसके कोने , उस भवन के कमरों के माप एवं नाप वास्तु शास्त्र के अनुरूप होने से वह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, जो हमारे जीवन को प्रभावित करता है । ठीक इसके विपरीत वास्तु शास्त्र के विपरीत निर्मित अथवा स्थापित भवन नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर जीवन में समस्याएं एवं संकट उत्पन्न करते है। व्यापार, निवास सम्बन्धी सभी प्रकार के आवासों और भवनों में तरक्की, सुख शान्ति और समृद्धि में वास्तु शास्त्र बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । भवन को वास्तु शास्त्र के अनुरूप सकारात्मक बनाने के भी अनेक उपाय ग्रंथों एवं पुराणों विद्यमान है । कई वास्तु ग्रन्थ जैसे.... मयमतम, मानसरम , विश्कर्मा वास्तु शास्त्रम्, शिल्प रत्नम , अपराजितम् पृछह , समरगनः सूत्रधार , मनुष्यालय चन्द्रिका , तंत्र समुच्छायाः , कश्यप शिल्पा , वास्तु राजवल्लभा या अनेक पौराणिक ग्रन्थ जैसे.... मत्स्य पुराण , अग्नि पुरुष , गरुड़ पुराण , नारद पुराण , कामिका आगम , बृहत सहनिता , गर्ग संहिता ,करनहगाम ,सुपरा भेदगम में वास्तु दोष उपचार से सम्बंधित उपायों का उल्लेख मिलता है । गंध संस्कार , औषधि या वनस्पति संस्कार , धान्य संस्कार एवं धातु संस्कार जैसे कई प्रकार के उपाय उपलब्ध है । इन सबके अलावा रत्न संस्कार भी काफी उपयोगी है । जिसमें कई अमूल्य रत्नों का प्रयोग होता है, जैसे हीरा , नीलम , पन्ना , मूंगा , माणिक ,पुखराज, मोती, गोमेद, हकीक, लहसुनिया इत्यादि.........
जमीन का वास्तु : -
.श्मशान या कूड़ा- करकट रखने वाली जगह पर कभी मकान नहीं बनाना चाहिए।
.जमीन लेते समय यह अवश्य जान लेना चाहिए । यदि किसी जमीन पर कांटेदार पेड़ हो उस जमीन पर घर नहीं बनाना चाहिए ।
.जमीन खरीदते समय मिट्टी की किस्म, जमीन का ढलान, आसपास के क्षेत्र आदि का भी ध्यान देना चाहिए। किसी अच्छे ज्योतिष या पंडित से सलाह लेने के बाद ही वहां घर बनाना चाहिए।
. मान्यता है कि घर के पास अगर मंदिर, मस्जिद या अन्य पूजा स्थल हो तो यह बहुत ही शुभ होता है लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर, मस्जिद या अन्य पूजा स्थल के आस- पास से लगे घरों में कभी शांति और सुख नहीं रहता। जमीन के दक्षिण भाग में किसी तरह का जलस्त्रोत जैसे नदी, नाला या हेंडपंप आदि नहीं होने चाहिए।
. ज्ञान के छेत्र से जुड़े व्यक्ति के लिए पूर्व दिशा में मुख वाला जमीन अच्छा माना जाता है। राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी या कर्मचारी को उत्तर दिशा में मुख वाला जमीन अच्छा माना जाता है । व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति को दक्षिण मुखी जमीन लेना अच्छा माना जाता है, यह उसके व्यवसाय की दृष्टी से अच्छा माना जाता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए पश्चिम मुखी जमीन अच्छी होती है। यह उस व्यक्ति के सम्मान वृद्धि में सहायक होती है ।
. उपजाऊ या हरा- भरा जमीन खरीदना अच्छा माना जाता है। जमीन के पास किसी नदी से पश्चिम से पूर्व दिशा में पानी बहना या उत्तर की ओर में कोई नदी या नहर का होना अच्छा माना जाता है। यदि किसी जमीन के दक्षिण दिशा में नदी या नहर बहती है तो ऐसे जमीन खरीदने से बचना चाहिए । किसी पहाड़ी या टीले के दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण- पश्चिम दिशा में जमीन खरीदना शुभ होता है।
घर का वास्तु : -
. घर हवादार और प्राकृतिक रोशनीयुक्त होनी चाहिए।शयनकक्ष की व्यवस्था इस तरह होनी चाहिए कि सोते समय पांव उत्तर और सर दक्षिण दिशा में हो अथवा पूर्व और पश्चिम भी हो सकता है ।टॉयलेट हमेशा पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।
. घर में पूजा स्थल बनाना हो तो वह उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। घर में पूजा स्थल तो होना चाहिए लेकिन शिवालय नहीं। आप चाहें तो शिवजी की मूर्ति अवश्य रख सकते हैं।
. घर के ठीक सामने कोई पेड़, नल या पानी की टंकी नहीं होनी चाहिए। ऐसी चीजों की वजह से घर में सकारात्मक शक्तियों के आगमन में परेशानी आती है। मकान की छत पर बेकार या टूटे-फूटे समान को न रखें। घर की छत को हमेशा साफ रखें।
. घर के में अगर कोई फलदार पेड़ है तो उसे कभी सूखने ना दें, अगर यह सूख रहा है या फल नहीं दे रहा तो अशुभ माना जाता है । घर के सामने छोटे फूलदार पौधे लगाना शुभ होता है।
. घर में बच्चों का कमरा उत्तर– पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर बच्चों के पढ़ने का कमरा अलग है तो वह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। पढ़ाई के कमरे में देवी सरस्वती की तस्वीर लगाई जानी चाहिए। बच्चों के कमरे की दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए।
. वास्तु शास्त्र के अनुसार खाना खाते समय हमारा मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। ये दिशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। घर में फ्रिज दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना शुभ होता है।
. शयनकक्ष कभी भी दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए। शयन कक्ष में दर्पण नहीं लगाना चाहिए, यह संबंधों में दरार पैदा कर सकता है। शयनकक्ष में लकड़ी के बने पलंग रखने चाहिए। घर में युद्ध या कब्रिस्तान से जुड़ी किसी भी तरह की तस्वीर को घर में नहीं लगाना चाहिए।
. ज्योतिष विद्या के अनुसार सोते समय जातक के पैर दरवाजे की तरफ नहीं होने चाहिए ।.कभी भी बेडरूम में मंदिर नहीं लगाना चाहिए। बेडरूम की दीवारों के लिए सफेद, जामुनी, नीला या गुलाबी रंग बहुत ही अच्छा माना जाता है।
. झूठे या गंदे बर्तन वॉश बेसिन में रात को नहीं छोड़ने चाहिए। सुबह और शाम के समय भोजन बनाने से पहले रसोईघर में धूप- दीप अवश्य दिखाना चाहिए। किचन में पूजा स्थान नहीं चाहिए ।
. बेडरुम में आइने को उत्तर- पश्चिम या पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। आइना ज्यादा बड़े आकार का नही लगाना चाहिए ।मकान में भारी सामान दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने चाहिए। हल्के सामान उत्तर,पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखे जाने चाहिए। घर में फेंगशुई पौधे जैसे मनी प्लांट या बांस लगाना चाहिए ।
. घर में मौजूद किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को समाप्त करने या कम करने के लिए वास्तु दोष निवारक यंत्र का प्रयोग किया जाना चाहिए । इसके अलावा स्वस्तिक, मुस्लिम संप्रदाय का 786 या ईसाई संप्रदाय के क्रास का चिह्न अथवा काले घोड़े की नाल घर के मुख्य द्वार पर अंकित करने से वास्तु दोष कम हो जाते हैं।
. घर का मध्य भाग को खाली और हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार टॉयलेट और बाथरूम अलग-अलग होने चाहिए। यदि स्नानघर व शौचालय एक साथ हैं, तो स्नानघर में नमक की ढेली कटोरी में रखें और हर सप्ताह इसे बदलते रहें। नमक नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है। तिजोरी को शयनकक्ष के दक्षिण - पश्चिम भाग में रखने से सौभाग्य का सूचक होता है।
दुकान का वास्तु :-
वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान या शोरुम का मुख्य दरवाजा यदि पूर्व या उत्तर दिशा अथवा पश्चिम की तरफ हो तो यह व्यापार के लिए अच्छा माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान के अंदर बिक्री का सामान रखने के लिए सैल्फ, अलमारियां, शोकेस और कैश काउंटर दक्षिण और पश्चिम दिशा में बनाना अच्छा माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार शोरुम या दुकान का कैशबाक्स हमेशा दक्षिण और पश्चिम दीवार के सहारे होना अच्छा माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार बिजली के उपकरणों को रखने या स्विच बोर्ड लगाने के लिए दुकान का दक्षिण-पूर्व हिस्सा अच्छा माना जाता है। दुकान के उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर अथवा इष्टदेव की फोटो को लगाना शुभ होता है। इसके अलावा इस हिस्से में पीने का पानी भी अच्छा माना जाता है। दुकान के काउंटर पर खड़े विक्रेता का मुंह पूर्व या उत्तर की ओर और ग्राहक का मुंह दक्षिण या पश्चिम की ओर हो तो बेहतर माना जाता है। दुकान में कैश काउंटर, मालिक या मैनेजर के स्थान के ऊपर ५ फीट खुला स्थान होना चाहिये, जो कि वास्तु शास्त्र की दृष्टि से अच्छा माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान के मालिक या मैनेजर को दुकान के दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। .