‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
“ कृपया अपने जीवन मे सही मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु हस्तलिखित सम्पूर्ण जन्म कुंडली का निर्माण अवश्य करायेँ “
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ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का बेहद महत्व है। ये ऐसी वस्तु है जिन्हें काफी शक्तिशाली माना गया है। ज्योतिष विधा का यह दावा है कि ये रत्न बड़ी से बड़ी परेशानी को अपने प्रभाव से खत्म करने की क्षमता रखते हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्रानुसार रत्न किसी ना किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। रत्नों का संसार बेहद बड़ा है। लेकिन विशेष रूप से केवल नौ रत्न ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। रत्नों का धारण करने से मनुष्य को कई लाभ होते हैं। रत्नों का लाभ और अन्य बातें रत्न से संबंधित ग्रह पर निर्भर करती हैं। रत्नों के बारें में संपूर्ण जानकारी और राशि अनुसार रत्न धारण करने के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें। रत्नों की दुनिया वाकई जादुई-सी लगती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न में करिश्माई शक्तियां होती हैं।
रत्न अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किए जाएं, तो इनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है अन्यथा रत्न विपरीत प्रभाव भी देते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई प्रकार के रत्न होते हैं। हर रत्न किसी विशेष परेशानी या किसी खास मकसद से ही धारण किया जाता है। यह बत गौरतलब है कि हर रत्न को धारण करने से पहले किसी ज्ञानी ज्योतिषी की राय ले लेनी चाहिए। अन्यथा गलत रत्न धारण करना बड़ी मुसीबत ला सकता है। एक बात और, रत्न हर कोई नहीं पहन सकता। जिसके लिए जो रत्न बना है, वही पहनना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न जातक की कुंडली का विवेचन करने के पश्चात ही धारण किया जाना चाहिए। बिना ज्योतिषी राय के रत्न धारण करना जातक की किसी विशेष क्षेत्र की या फिर उसके लिए पूर्ण बर्बादी का कारण बन सकता है। कुछ कुंडलियां ऐसी भी होती हैं जिनमें रत्न धारण करने जैसा कोई भी योग नहीं होता। तो ऐसे में इस तरह के जातक को जीवन भर किसी भी प्रकार का रत्न धारण नहीं करना चाहिए।