‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
“ कृपया अपने जीवन मे सही मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु हस्तलिखित सम्पूर्ण जन्म कुंडली का निर्माण अवश्य करायेँ “
शिक्षा . खेल . मनोरंजन . विज्ञान . व्यापार . पर्यावरण . राजनीति . आर्थिक . शेयर मार्केट . स्वास्थ्य . सेलेब्रिटी . धर्म
सूर्य ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त १२ रत्ती का माणिक्य रत्न चांदी या सोने की धातु में रविवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो अनामिका अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात सूर्य ग्रह का मन्त्र जप १ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही ११ रविवार सूर्य ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को सूर्य ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से सूर्य ग्रह के कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
चन्द्र ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त १२ रत्ती का मोती रत्न चांदी या सोने की धातु में सोमवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो अनामिका या कनिष्ठिका अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात चन्द्र ग्रह का मन्त्र जप १ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही २१ सोमवार चन्द्र ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को चन्द्र ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से चन्द्र ग्रह के कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
मंगल ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त ९ रत्ती का मूंगा रत्न चांदी या सोने की धातु में मंगलवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो अनामिका अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात मंगल ग्रह का मन्त्र जप ३ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही ९ मंगलवार मंगल ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को मंगल ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से मंगल ग्रह के कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
राहू ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त ८ रत्ती का गोमेद रत्न चांदी या सोने की धातु में शनिवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो मध्यमा अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात राहू ग्रह का मन्त्र जप ३ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही ११ शनिवार राहू ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को राहू ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से राहू ग्रह के कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
बृहस्पति ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त ९ रत्ती का पुखराज रत्न चांदी या सोने की धातु में गुरुवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो तर्जनी अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात बृहस्पति ग्रह का मन्त्र जप ३ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही २१ गुरुवार बृहस्पति ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को बृहस्पति ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से सूर्य ग्रह के कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
शनि ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त ८ रत्ती का नीलम रत्न चांदी या सोने की धातु में शनिवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो मध्यमा अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात शनि ग्रह का मन्त्र जप ८ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही ११ शनिवार शनि ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को शनि ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से शनि ग्रह के कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
बुध ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त ९ रत्ती का पन्ना रत्न चांदी या सोने की धातु में बुधवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो अनामिका अंगुली अथवा कनिष्ठिका अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात बुध ग्रह का मन्त्र जप ३ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही ११ बुधवार बुध ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को बुध ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से बुध ग्रह से मिलने वाले कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
केतु ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त ८ रत्ती या इससे अधिक का लहसुनिया रत्न चांदी या सोने की धातु में सोमवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो अनामिका अथवा मध्यमा अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात केतु ग्रह का मन्त्र जप ११ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही ११ सोमवार केतु ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को केतु ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से केतु ग्रह से होने वाले कष्टों से जातक को मुक्ति मिलना संभव हो पाता है
शुक्र ग्रह कष्ट निवारण हेतु :
सर्वप्रथम जातक को प्राण प्रतिष्ठा युक्त ९ रत्ती या इससे अधिक का हीरा रत्न चांदी या सोने की धातु में शुक्रवार को सूर्यास्त के पूर्व धारण करना चाहिये वो अनामिका अंगुली या गले दोनों ही स्थान पर पहने जा सकते हैं तत्पश्चात शुक्र ग्रह का मन्त्र जप ३ माला प्रतिदिन प्रातः काल मानसिक जप करें एवं विधि अनुसार औषधि स्नान या ग्रहण करें साथ ही ११ शुक्रवार शुक्र ग्रह अनुष्ठान का कार्यक्रम करना चाहिये ऐसा करने पर जातक को अवश्य लाभ प्राप्त होता है और जातक को शुक्र ग्रह कष्ट निवारण तावीज़ भी धारण करना चाहिये अतः यह सभी उपाय करने से शुक्र ग्रह से मिलने वाले कष्टों से जातक को अवश्य ही मुक्ति मिलना संभव हो पाता है