‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
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वसंत पंचमी वसंत पंचमी को श्रीपंचमी नाम से भी जानते हैं। वसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई थी। पूरी सृष्टि मौन थी और सारी सृष्टि मधुर स्वर प्रदान करने का श्रेय भी माँ सरस्वती को ही जाता है, तो ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की अनुमति लेकर अपने कमंडल के जल से सरस्वती की उत्पत्ति की ।
इसके बाद सृष्टि को स्वर मिले देवता और मनुष्य सभी मां सरस्वती की पूजा अराधना करने लगे। इसलिए वसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। इस दिन मां सरस्वती की पूजा पंचोपचार द्वारा की जाती है। सरस्वती के 12 नाम-प्रथम भारती नाम, द्वितीय च सरस्वतीतृतीय शारदा देवी, चतुर्थ हंसवाहिनीपंचमम् जगतीख्याता, षष्ठम् वागीश्वरी तथासप्तमम् कुमुदीप्रोक्ता, अष्ठमम् ब्रह्मचारिणीनवम् बुद्धिमाता च दशमम् वरदायिनीएकादशम् चंद्रकांतिदाशां भुवनेशवरीद्वादशेतानि नामानित्रिसंध्य य: पठेनर: एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
- सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने विद्यारूपा विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते॥ या देवी सर्वभूतेषू, मां सरस्वती रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। - ऐं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।।