‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
“ कृपया अपने जीवन मे सही मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु हस्तलिखित सम्पूर्ण जन्म कुंडली का निर्माण अवश्य करायेँ “
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पौराणिक कथानुसार राम नवमी के ही दिन त्रेता युग में महाराज दशरथ के घर विष्णु जी के अवतार भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म रावण के अंत के लिए हुआ था । श्रीराम को लोग उनके सुशासन, मर्यादित व्यवहार और सदाचार युक्त शासन के लिए याद करते हैं । उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में राम नवमी का त्यौहार पूरे हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को रामनवमी का विशेष पर्व मनाया जाता है ।
इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या आते हैं और प्रातःकाल सरयू नदी में स्नान कर भगवान के मंदिर में जाकर भक्तिपूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करते हैं । राम नवमी के दिन जगह-जगह रामायण का पाठ होता है । कई जगह भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और भक्त हनुमान की रथयात्रा निकाली जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं ।
नारद पुराण के अनुसार राम नवमी के दिन भक्तों को व्रत रहना चाहिए । श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए एवं यथा संभव दान देना चाहिए । इसके बाद भगवान श्रीराम की पूजा संपन्न करनी चाहिए ।