‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
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धनतेरस का त्यौहार कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है । इस दिन लोग भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं और यमराज के लिए दीप देते हैं। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है । स्कंदपुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है । इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विधान है । माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में ही ठहर जाती हैं ।
कई लोग इस दिन लक्ष्मी जी और कुबेर जी की भी पूजा करते हैं । ऐसा कहते है कि, इस दिन लक्ष्मी कुबेर जी की पूजा करने से मनुष्य को कभी धन वैभव की कमी नहीं होती । इस दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है । इस दिन विशेषकर बर्तनों और गहनों आदि की खरीदारी की जाती है ।
दिवाली के त्यौहार की शुरुआत धन तेरस से होती है । धन का मतलब पैसा और सम्पति होता है और तेरस कृष्णा पक्ष का तेरवां दिन है । यह कार्तिक मास में आता है । हिन्दू समाज में धनतेरस सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है । इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा का बड़ा महत्त्व है । हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में स्कन्द पुराण में लिखा है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धन्वंतरि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है । इस दिन निम्न चीजें अवश्य खरीदना शुभ माना जाता है: चांदी के लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति, कुबेर जी की प्रतिमा, लक्ष्मी या श्री यंत्र और कमल, बर्तन आदि ।