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‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’                                                                                      

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:  : दीपावली : :

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दीपों का त्योहार दीपावली कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को धूम धाम से मनाया जाता है । मान्यता है कि दीपों से सजी इस रात में लक्ष्मीजी भ्रमण के लिए निकलती हैं और अपने भक्तों को खुशियां बांटती हैं । दिपावली हिन्दू धर्म का मुख्य त्योहार है । दीपावली के दिन दीपदान अथवा दीप प्रज्ल्लित का विशेष महत्त्व होता है । नारदपुराण के अनुसार इस दिन मंदिर, घर, नदी, बगीचा, वृक्ष, गौशाला तथा बाजार में दीप प्रजल्लित करना शुभ माना जाता है ।

यह माना जाता है कि, जब भगवान राम अयोध्या पहुंचे थे । तब पूरे शहर को हजारों दीपकों को जला कर उनका स्वागत किया गया था । पूरी अयोध्या को फूलों और सुंदर रंगोली से सजाया गया था । तब से, दिवाली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है । भगवान राम का अपने घरों में स्वागत करने के लिए लोग तेल के लैंप के साथ सजावट करते हैं यही कारण है कि इस त्योहार को 'दीपावली' भी कहा जाता है । तेल के दीपों की परंपरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है । लोग अपने घरों के प्रवेश द्वार पर सुंदर रंगोली और पादुका चित्रण करके देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं । दिवाली के त्योहार को मनाने के लिए लोग दोस्तों, रिश्तेदार और पड़ोसियों को मिठाई और फल बांटते है ।

दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक अलग अलग रीति रिवाज से मनाया जाता है, जिसमे प्रत्येक दिन का अपना महत्व है और जिसमे परंपरागत अनुष्ठानों का पालन किया जाता है । ' धनतेरस ' के साथ आरम्भ होता है, यह वह शुभ दिन है जिसमे, लोग बर्तन, चांदी के बर्तन या सोना खरीदते हैं । यह माना जाता है कि, नए "धन" या कीमती वास्तु खरीदना शुभ हैं । इसके बाद नरक चौदस आता है जिसमें, बड़ी दिवाली की तैयारी होती है । लोग अपने घरों को सजाने की शुरुआत करते हैं, और एक दुसरे से मिलते जुलते है । अगले दिन बड़ी दीवाली मनाई जाती है । इस दिन, लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं, मिठाई और उपहार के साथ एक दूसरे के घर जाते हैं, पटाखे जलाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं । दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है और अंततः पांच दिवसीय उत्सव भाई दूज के साथ समाप्त होता है जहां बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और भाई बहन एक-दूसरे की कुशलता के लिए प्रार्थना करते हैं ।

सभी घरों में दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा की जाती है हिन्दू मान्यतानुसार अमावस्या की रात्रि में लक्ष्मी जी धरती पर भ्रमण करती हैं और लोगों को वैभव का आशीष देती है । मान्यता है कि इस दिन यदि कोई श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करता है तो, उसके घर में कभी भी दरिद्रता का वास नहीं होता । इस दिन गायों के सींग आदि को रंगकर उन्हें घास और अन्न देकर प्रदक्षिणा की जाती है ।

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